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Shabar Mantra Ki Utpatti Kaha Se hui?

💀 इस्माईल जोगी का तिलिस्म💀

                         

सहर के बाद शुमार-ए-नुजूम-ए शब होगा, सफर के बाद सफर का हिसाब देखेंगे...

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आज तक जितने भी प्रकार के शाबर मन्त्र उपलब्ध हैं, उनके जनक बाबा गोरखनाथ ही हैं। नाथ और दशनामी सम्प्रदाय के अनुयायी एक-दूसरे से अभिवादन के समय 'आदेश' का प्रयोग करते हैं। नाथ सम्प्रदाय की स्थापना आदिनाथ शिव द्वारा बताई जाती है। आदिनाथ शिव से मत्स्येन्द्रनाथ ने ज्ञान प्राप्त करके नाथ पंथ का विस्तार किया। मत्स्येन्द्रनाथ के शिष्य गोरखनाथ के प्रचार से बारह पंथी नाथ सम्प्रदाय विख्यात हुआ। इस सम्प्रदाय के मानने वाले अपने नाम के साथ 'नाथ' शब्द को गर्वपूर्वक उच्चारित करते हैं। इन अनुयायियों को कान छिदवाने के कारण कनफटा, दर्शन कुण्डल धारण करने के कारण दर्शनी एवं गोरखनाथ के चेले होने के कारण गोरखपंथी भी कहा जाता है।

पूर्वी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम जोगियों के भी अनेक गांव हैं। इन गांवों में ऐसे मुस्लिम जोगी रहते हैं, जो नाथ पंथियों की तरह गेरुए वस्त्र धारण करते हैं और हाथ में सारंगी लिये रहते हैं। ये जोगी गांव-गांव गोपीचन्द और राजा भर्तृहरि के गोरखनाथ के प्रभाव से संन्यासी हो जाने की लोककथा अपनी विशिष्ट गायन शैली में गाते फिरते रहते हैं। ग्रामीण लोग इनके सम्मान में इन्हें अनाज और धनराशि सहर्ष देते हैं। गांव वाले इनके मुख से गोरखनाथ की महिमा बड़े चाव से सुनते हैं।


💀यहां हम यह समझेंगे कि ये मुस्लिम जोगी कौन हैं और💀


इनका नाथ सम्प्रदाय से क्या सम्बन्ध है। इस विषय में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। पहले ये मुस्लिम जोगी बहुतायत थे किन्तु अब इनकी संख्या तेजी से कम होती जा रही है। ये लोग जादुई करामात दिखाकर और हाथ देखकर भविष्यवाणी करके अपनी जीविका चलाते हैं। इनके पूर्वज असम के रहस्यपूर्ण क्षेत्र में रहने वाले इस्माईल जोगी थे। जोगियों का अधिकांश सम्प्रदाय सैकड़ों वर्ष पूर्व बिहार और बंगाल में फैला हुआ था। मुस्लिम जोगी वास्तव में नाथपंथ के योगी ही हैं। काल के प्रभाव से धीरे- धीरे इनकी संख्या अब काफी कम हो गई है। पश्चिम बंगाल में इन मुस्लिम जोगियों का आज भी काफी सम्मान हैं। लोग इन्हें गोरखनाथ की भूमि से आया हुआ जानकर बहुत सम्मान देते हैं।

आज से सैकड़ों वर्ष पूर्व असम-बंगाल क्षेत्र में जन्में इस्माईल जोगी अन्य जोगियों की तरह सितार वाद्ययन्त्र लेकर गांव-गांव घूमकर राजा भर्तृहरि और गोरखनाथ की कथा सुनाया करते थे। पूरा भारत घूमने के बाद इन्होंने असम की एक घाटी में अपना स्थान नियत किया। गोरखनाथ की महिमा को जानकर इन्होंने गोरख का नाम जपकर लोगों की भलाई शुरू की। धीरे-धीरे इनकी ख्याति पूरे असम और बंगाल में फैल गई। गुरु कृपा से इन्होंने तंत्र विद्या का उपयोग करने के साथ-साथ उसका प्रचार व प्रसार भी किया। इन्होंने कभी धर्म, जाति का भेदभाव नहीं किया। गोरखनाथ की साधना से सिद्धि प्राप्त तन्त्र के माध्यम से इनका चमत्कार पूरे बंगाल में दिखने लगा। इस्माईल जोगी का जलवा ऐसा था कि ये अगर मिट्टी के खिलौने को हाथ

लगा देते, तो वह खुद ब खुद चलने लगता था। ऐसे अनेक तिलिस्म देखकर लाखों लोग उनके भक्त बन गये। गुरु की उन पर असीम कृपा थी। कहा जाता है कि वर्षों तक उन्होंने असम में रहकर माँ कामाख्या की भी साधना करके उनके दर्शन किये थे। आज भी अनेक शाबर मन्त्रों में 'इस्माईल जोगी की आन' या 'इस्माईल जोगी की दुहाई' का प्रयोग किया जाता है क्योंकि उनके नाम का ही तिलिस्म ऐसा था कि उनकी दुहाई देने मात्र से सम्बन्धित देवता बाध्य होकर साधक का कार्य सम्पन्न करने को तत्पर हो जाता था। आज भी असम व बंगाल के आदिवासी क्षेत्रों में लोग इस्माईल जोगी के नाम की अलख जगाते हैं। वशीकरण के कार्य में इनका नाम प्रमुखता से लिया जाता है। इनके सम्बन्ध में मशहूर है कि यह आजीवन लाखों लोगों की बिना किसी लालच के मदद करते रहे।

अनेक वर्षों तक असम, बंगाल के आदिवासी क्षेत्रों में भ्रमण

करके तथा अनेक पुस्तकालयों में पुराने हस्तलिखित तंत्र-मंत्र

शास्त्रों से खोजकर विभिन्न इस्लामी शाबर मन्त्रों का चयन इस

blog me किया गया है। अधिकांश मन्त्र इस्माईल जोगी की
देन हैं, अतः उनके प्रति पूर्ण श्रद्धा रखकर व उनका नाम दिल
में संजोकर ही इस blogs post के इस्लामी शाबर मन्त्रों व टोटको
का प्रयोग करें। इससे आपको उम्मीद से भी अधिक कामयाबी
मिलेगी।

औरों की बुराई को न देखूँ वो नजर दे, हाँ अपनी बुराई को परखने का हुनर दे।



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